Psychology

CHAPTER – 2 

Educational Psychology / शिक्षा मनोविज्ञान 

आधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पत्ति 1900 में हरबर्ट, फ्रोबेल, पोस्टालोजी के प्रयासों से हुई | लेकिन यह अभी – भी मनोविज्ञान की उप शाखा के रूप में अध्ययन किया जाता है | 

थार्नडाइक ने ही सर्वप्रथम मनोविज्ञान के रूप में नियमों का उपयोग कर शिक्षा देने के लिए अधिगम के सिद्धांत और नियम प्रतिपादित किये | अत: इसे प्रथम शिक्षा मनोवैज्ञानिक माना जाता है | 

परिभाषायें :- 

(1) बर्हिस फ्रेडरिक स्कीनर :- शिक्षा मनोविज्ञान अपना अर्थ शिक्षा से जो एक सामाजिक प्रक्रिया है और मनोविज्ञान से व्यवहार सम्बन्धी विज्ञान है, ग्रहण करता है | 


(2) क्रो एवं क्रो के अनुसार : शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक सीखने सम्बन्धी अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है।


(3) जेम्स ड्रेवर के अनुसार :- शिक्षा मनोविज्ञान व्यावहारिक मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षा में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतो तथा खोजों के प्रयोग के साथ ही शिक्षा की समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्यन से सम्बंधित है।



(4) ऐलिस क्रो के अनुसार :- शैक्षिक मनोविज्ञान मानव प्रतिक्रियाओं के शिक्षण और सीखने को प्रभावित वैज्ञानिक दृष्टि से व्युत्पन्न सिद्धांतों के अनुप्रयोग का प्रतिनिधित्व करता है।


(5) जे. ए. स्टीफन के अनुसार :- शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर प्रौढ़ावस्था तक विकास की विभिन्न दशाओं से गुजरे हुए, व्यक्तियों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या और वर्णन करने वाला विज्ञान है |  

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से वृद्धावस्था तक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति अपने व्यवहार में परिवर्तन करता है | 


शिक्षा मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो छात्रों के व्यवहार में सुधार लाने के लिए या शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मनोविज्ञान की विधियों और सिद्धांतों का प्रयोग करता है | 


शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध सीखने व सीखाने से है | 


शिक्षा मनोविज्ञान की आधुनिक सम्प्रत्यय / अवधारणायें :- 

  •  शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक अनुप्रयुक्त शाखा है |
  • शिक्षा मनोविज्ञान , एक वस्तुपरख या निश्चयात्मक विज्ञान है |
  • शिक्षा मनोविज्ञान , शिक्षण प्रक्रिया को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है |
  • शिक्षा मनोविज्ञान , शैक्षणिक समस्याओं का मनोवैज्ञानिक समाधान करता है |
  • शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा सम्बन्ध शिक्षण व अधिगम दोनों से है |
  • शिक्षा मनोविज्ञान के अनुसार ही शिक्षा को बालकेंद्रित बनाया गया |
  • शिक्षा मनोविज्ञान का ज्ञान, शिक्षकों, अभिभावकों और शैक्षणिक प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों को होना चाहिए | 

शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र – 
वें सभी प्रक्रियाएं या विषय जहाँ शिक्षा मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है | शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र कहलाते है |
  1. अधिगम |
  2. वंशानुक्रम |
  3. बालक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास |
  4. थकान और रूचि |
  5. अभिप्रेरणाओं और मूल प्रवृतियों का अध्ययन | 
  6. अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन | 
  7. शिक्षण विधियों, शिक्षण सहायक सामग्रियों आदि का प्रयोग |
  8. बालक की  चेतन, अर्द्ध चेतन व अचेतन अवस्थाओं का अध्ययन |
  9. विशिष्ट बालक और इनका शिक्षण |
  10. व्यक्तिगत विभिन्नताएँ |
  11. पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक का निर्माण करने में |
  12. व्यक्तिगत तथा समायोजन |
  13. मूल्यांकन |


शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षक के लिए महत्त्व :- बर्हिस फ्रेडरिक स्कीनर के अनुसार – शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षक कब, क्या, क्यों कैसे प्रश्नों के उत्तर देता है | अत: बालक की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बालकेंद्रित शिक्षा प्रणाली का विकास हुआ, जिसमें बालक की आवश्यकता के अनुसार और निर्धारित किये गये शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्त करने के लिए शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक की मदद करता है जो इस प्रकार है :- 
  • नवाचारों का प्रयोग करने के लिए
  • पाठ्यपुस्तक का निर्माण करने के लिए
  • शिक्षण विधियों का चयन करने के लिए
  • सहायक शिक्षण सामग्रियों का निर्माण करने के लिए 
  • मूल्यांकन के लिए 
  • समय विभाग चक्र का निर्माण करने के लिए 
  • शैक्षिक उद्देश्यों का निर्माण करने के लिए 
  • विशिष्ट बालकों की शिक्षण व्यवस्था के लिए 
  • व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ज्ञात करने के लिए 

 

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