मूल प्रवृतियाँ प्रतिपादक – विलियम मैकडूगल आर. एस. वुडवर्थ के अनुसार :- मूल प्रवृति कार्य करने का बिना सीखा हुआ स्वरूप है | वो सभी कार्य जिन्हें जन्तु करना सीखता नही है या किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नही होती है अर्थात् जो जन्मजात होते है, मूल प्रवृतियाँ कहलाती है | नोट :- ये जन्मजात अर्थात् […]
कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धान्त कोहल बर्ग अमेरिका के निवासी थे उन्होंने यह सिद्धान्त 1958 ई. में दिया था और इसे 1981 एवं 1984 में संशोधित किया | कोहलबर्ग विभिन्न प्रकार की कहानियों के द्वारा बालकों को नैतिक आचरण विकास के संदर्भ में दिशा देने का प्रभाव किया और स्वयं ने यह सब समझने […]
जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त ज्ञानेद्रियाँ विज्ञान के अनुसार 5 होती है आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा जो हमें सत्य ज्ञान देती है जिसे संज्ञान कहते है मनोविज्ञान में मन को छठी ज्ञानेन्द्री माना है जिससे प्राप्त ज्ञान असत्य या आभासी हो सकता है | जीन पियाजे स्विटजरलैंड के बायोलॉजिस्ट थे जिन्होंने अपने […]
CHAPTER – 2 Educational Psychology / शिक्षा मनोविज्ञान आधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पत्ति 1900 में हरबर्ट, फ्रोबेल, पोस्टालोजी के प्रयासों से हुई | लेकिन यह अभी – भी मनोविज्ञान की उप शाखा के रूप में अध्ययन किया जाता है | थार्नडाइक ने ही सर्वप्रथम मनोविज्ञान के रूप में नियमों का उपयोग कर शिक्षा देने के […]
Psychology परिभाषा :- Psychology शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है | Psyche – soul- आत्मा, Logos – Study – अध्ययन करना अर्थात् आत्मा का अध्ययन करना | साइकोलॉजी शब्द को सर्वप्रथम रुडोल्फ गोयकल (1590) ने दिया था साइकोलॉजी को सबसे पहले गैरेट ने आत्मा का विज्ञान कहा था तथा इसके जनक अरस्तु […]
Psychology Growth and Development (अभिवृद्धि एवं विकास ) पेस्टोलॉजी ने 1774 ई. में अपने ही 3.5 वर्षीय पुत्र का अध्ययन किया और उसके विकास को समझते हुए बेबी बायोग्राफी नामक लेख लिखा | नोट :- सर्वप्रथम बालक के विकास को लेकर जो विचार पेस्टोलॉजी के द्वारा बेबी बायोग्राफी के माध्यम से आगे बढ़ा उसी के […]